खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी निरामला कंवर ने करवाया था। आपको बतादे की खाटू श्याम जी मंदिर मंदिर से जुड़े कई मिथक और किंवदंतियां हैं। और तीर्थयात्रियों के विश्वास और मान्यता के मुताबिक है यहाँ आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खाटू श्याम जी का मंदिर भारत देश में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलयुग का सबसे मशहूर भगवान माना जाता है। हिंदू धर्म में खाटू शम जी को कलयुग में कृष्ण का अवतार माना गया है।
खाटूश्याम मंदिर का निर्माण सबसे पहले 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था। बाद में, 1720 ईस्वी में, मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और एक रईस- दीवान अभयसिंह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया। इस समय, गर्भगृह का निर्माण किया गया और मूर्ति की स्थापना की गई। यह वह संरचना भी है जो आज भी कायम है। खाटूश्याम मंदिर का इतिहास और पूरी कहानी महाभारत से मिलती है।
खाटू श्याम का इतिहास में बतादे की पहले खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था। वे बलवान गदाधारी भीम और नाग कन्या मौरवी के पुत्र थे। बचपन से ही उनमें वीर योद्धा बनने के सभी गुण थे। उन्होंने युद्ध करने की कला अपनी मां और श्रीकृष्ण से सीखी थी। उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करके तीन बाण प्राप्त किए। ये तीनों बाण उन्हें तीनों लोकों में विजयी बनाने के लिए काफी थे।
The Story Behind The Name Of Khatushyam From Barbarik
बर्बरीक से कैसे पड़ा खाटू श्याम नाम? कौरव और पांडवो का महाभारत का युद्ध खत्म हुआ तो बर्बरीक का कटा हुआ सर खाटू गांव में दफनाया गया था। और भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कहा था की कलयुग में तुम मेरे स्वरूप श्याम के नाम से पूजे जाओगे। पौराणिक कथा और मान्यता के अनुसार एक गाय खाटू गांव की उसी जगह पर अपने स्तनों से दूध बहा रही थी। वह जगह ही बर्बरीक का सर दफनाया गया था। गांव के लोगो ने गाय को ऐसे दूध देते हुए देखा तो लोगो को आश्चर्य हुआ था।
उन्होंने यह जगह को खुदवाया उसमे से उन्हें बर्बरीक का कटा सिर मिला था। उन्होंने सिर को एक ब्रह्मण को दिया था। ब्रह्मण उसकी पूजा करने लगा था। उसके पश्यात खाटू नगर के राजा रूपसिंह को स्वप्न आया था। उसमे उन्हें बर्बरीक के कटे हुए सिर को मंदिर का निर्माण करके स्थापित करने के लिए कहा था। राजा रूपसिंह ने मंदिर का निर्माण कराया था। वर्तमान समय में देश विदेश में खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध है।
Shyamkund
खाटू गांव में जहा खाटू श्याम जी का पवित्र मंदिर बना हुआ है। उसी नजदीकी स्थल पर एक कुंड भी बना हुआ है। उसको श्यामकुंड के नाम से लोग जानते है। मान्यता के मुताबिक यह कुंड की जगह पर खोदकर खाटू श्याम जी का कटा हुआ सिर निकला था। कुंड की पौराणिक ऐसी मान्यता है जो भी भक्त कुंड में स्नान करता है। उसके शरीर के चार्म रोग हो वह सभी एकदम ठीक हो जाते है। खासतौर से फाल्गुन मेले के दौरान डुबकी लगाने की मान्यता ज्यादा है।
How To Reach Khatu Shyam Ji Mandir
खाटूश्याम मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रिंगस में स्थित है। वह यहां से 19 किमी की दूरी पर है। रेलवे स्टेशन से पर्यटक को कई जीप, टैक्सी और बसें उपलब्ध हैं। जो यात्री को गंतव्य तक ले जा सकती हैं। आप या तो सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करना चुन सकते हैं या एक निजी वाहन किराए पर ले सकते हैं। खाटू श्याम जी मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में स्थित है। जो मंदिर से 95 किमी की दूरी पर है। पर्यटक बहुत आसानी से खाटू श्याम जी का पवित्र मंदिर जयपुर की यात्रा कर सकते है।
Source-https://historyofindia1.com/
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